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उजड़ गए जब दिवाने-तो फिर क्या मन्दिर क्या मस्जिद

Samar Singh 02 Jun 2023 गीत दुःखद चाहने वाले दूर हो जाए, तो कुछ अच्छा नहीं लगता। 4448 0 Hindi :: हिंदी

उजड़ गए जब दिवाने, 
तो फिर क्या मन्दिर, क्या मस्जिद। 
रहती मस्ती सुबहो- शाम, 
अपनी ही धुन, अपनी ही जिद।। 

किसको पूजे छोड़ अपने साथी को, 
और नहीं कोई दूजा काम है। 
मौत गले में अटकी है, 
दिल को एक पल ना आराम है।। 

है निशा बीती ,तारें जगमगा के, 
काश सुबह लेके आये कोई उम्मीद। 
उजड़ गए जब दिवाने, 
तो फिर क्या मन्दिर, क्या मस्जिद।। 

जीना है तेरे नाम पे, 
मरना है तेरे मुकाम पे, 
बलिहारी तेरे अंजाम पे, 
फ़ना उस गुलफाम पे। 
आये ऐसी नशा हमको,
न जागूँ जीवन भर, लगे ऐसी नींद। 
उजड़ गए जब दिवाने, 
तो फिर क्या मन्दिर, क्या मस्जिद।। 

रचनाकार- समर सिंह "समीर G"

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