Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य पथ 52700 0 Hindi :: हिंदी
पथ पथ है पुकारता शेर है दहाड़ता बढ़ते चल आगे चल हार मत हालात से मार्ग है निहारता मंजिल है पुकारता चलता चल तु चलता चल गिर मत तू हार मत तू आंधियां गिरा रहा आसमां धिक्कारता नदिया रुख़ फेर दिया पर्वते अंगार सा चल चला चल तु चल चला चल गिर मत तु गिर मत हौसला बुलंद कर तू अव्वल हैं तू नवल तू ही ईजाद हैं प्रतियोगिता जो दिख रहा बो जित के प्रतीक है चल चला चल तू चल चला चल छोड़ दे निशान पग का रूक मत तू रूक मत चल चला चल तू चल चला चल रात है डरा रही सुभ प्रभात की किरने बाँह को फैला दिया चल चला चल तू चल चला चल तू गिर मत तू गिर मत हौसला बुलंद कर पथ है निहारता मंजिल है पुकारता शेर है दहाड़ता रुक मत तू रुक मत