संदीप कुमार सिंह 05 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8118 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद संकट हरने के लिए, मधुर वचन के साथ। आगे बढ़िए आप सब,हाथों में ले हाथ।। हाथों में ले हाथ,भला करता हम सबका। संकट करता दूर,दुआ करता हूं रबका।। कहते कवि संदीप,बनो मत प्रिय जन बंकट। सरस सरल हो प्राण,दूर रहता तब संकट।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 दोहा छंद संकट हरने के लिए, मधुर वचन के साथ। आगे बढ़िए आप सब,हाथों में ले हाथ।। संकट हरने के लिए,आया लेकर प्यार। कदम कदम अब साथ दूं,खुशियां करूं निसार।। संकट हरने के लिए,लेते प्रभु अवतार। धर्म ज्ञान से दे खुशी,सभ्य करे संसार।। संकट हरने के लिए,बन आया हूं मित्र। सुख दुख में मैं साथ दूं,जीवन कर दूं इत्र।। संकट हरने के लिए,आत्म शक्ति हो पास। हर संकट तब दूर हो,हो खुद पर विश्वास।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....