Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम his poem is mostly inspiration of thought. 15602 0 Hindi :: हिंदी
चलती है हवा ले अधरों से, बिते सारे ऐहसास कई! कूछ उठी धूनी सी सिमट गई, अरमानो के ज़सबात लिए!! ज़सबातो की ले करूण कथा, कितनो ने रचना रच डाला! हम रहे राह पे चाहत के, ईश्क को मज़हब कह डाला!! ये इक दर्पण है मानवता का, जो हर दील दीप जलाता है! बन उधारक मानवता का, जीवन कंवलीत कर जाता है!! है चर्म कर्म मानवता का, तो मिले सत्य का मार्ग प्रशस्त! मानवता करती कर्म वंदन, होकर राहों मे अस्त व्यस्त!! है सत्य मेव ज्यते का, भारत भाग्य विजयते का! आज़ादी का ये मूल मंत्र, ज्यती ज्यती जय ज्यते का!! अविधा कि घुंट को पीला पीला, जन्नी का ताज रचने वाले! प्रेम शूधा का घूंट पिला , आजाद विश्व करने वाले!! कहते ही चले थे भारत मा, सच्चाई का ऐहसास लिए! कूछ उठी धूनी सी सिमट गई, अरमानो के ज़सबात लिए!! Poet : Amit Kumar Prasad कवी : अमित कुमार प्रशाद
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...