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बैसाखी नक़ल प्रसाद की

Santosh kumar koli 01 May 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग बैसाखी 7628 0 Hindi :: हिंदी

विद्यार्थी को चाहिए,
बैसाखी नक़ल प्रसाद की।
ऑफिस में बैसाखी,
बॉस आशीर्वाद की।
राजकाज में बैसाखी,
भाई- भतीजावाद की।
जातिवाद की बैसाखी ने,
राजनीति बरबाद की।
बालक, युवजन सहारे बैसाखी,
सहारे काका- काकी।
खुद पर विश्वास नहीं,
सबको चाहिए बैसाखी।
सहारा लेने वालों,
सोचो एक पल।
बैसाखी के सहारे तुम,
सिर्फ़ सकते हो चल।
दौड़ नहीं सकते,
चाहे कितना भी लो मन मचल।
बैसाखी जाने कब छूटे,
क्या दशा होगी कल?
तुम्हें वही मिलेगा,
जो दौड़ने वाले छोड़े बाक़ी।
खुद पर विश्वास नहीं,
सबको चाहिए बैसाखी।
बैसाखी का सहारा लेकर,
खुद को बना लिया अपंग।
बिना पंगु बैसाखी ले ली,
क्या जीतोगे जीवन की जंग?
खुद की शक्ति पहचान लो,

तूफ़ान बन जाएगा तरंग।
तरक बैसाखी तू नहीं,
दुनिया होगी तेरे संग।
कलुंकर डुबाएगी,
मत बांधो पराई राखी।
खुद पर विश्वास नहीं,
सबको चाहिए बैसाखी।
चाहिए बैसाखी।

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