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वो सुहाना सफ़र-बहुत अरसे पहले की बात यह है

संदीप कुमार सिंह 07 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3862 0 Hindi :: हिंदी

बहुत अरसे पहले की बात यह है,
देख विषय यात्रा वृतांत का याद आया।

शौख की प्रकाष्ठा पर चढ़कर,
मैं गुजरात के पोरबंदर में गया था।

मेरे जीवन में वह सफ़र यादगार हुआ है,
भूले से भी नहीं भूला पाता हूं।

महात्मा गांधी संग्रहालय को देखना,
दिल को आत्मिक संतुष्टि प्रदान किया था।

मजा ही मजा आ रहा था,
गांधी जी का पुराना घर भी देखा था।

जो जीर्ण _शीर्ण अवस्था में भी,
मजबूती का एहसास लिए हुए था।

ईंट_खपरैल का वह पुराने जमाने का घर था,
देख कर उस जमाने का चित्र भी सामने आया।

मन हर्षोल्लास में मग्न था,
 वहां के बंदरगाह में मैं मग्न हो गया।

समुंद्र किनारे का विशाल जगह,
आंखों में काफ़ी सकूं दिया था।

ऐसे में ही कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आ गया,
वहां लोगों का उत्साह गजब था।

समुंद्र किनारे विशाल पैमाने पर,
मेला को देख कर दंग हो गया था।

नाना प्रकार के सामग्रियों से युक्त,
वह विशाल मेला बड़ा ही शोभायमान था।

भिड़ों की सैलाब देखते ही,
बनता था,
पांव रखने की जगह न मिलता।

सात_आठ दिन तक घर में खाना  नहीं बनाते,
बड़ा ही अद्भुत यह बात मेले में सपरिवार खाते थे।

यह वहां की परम्परा था,
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व में।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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