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परिस्थिति

Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Google 11975 0 Hindi :: हिंदी

परिस्थिति कभी एक समान नहीं होती आज खुशी है तो कल गम ।आज कहीं रौनक है तो कहीं मातम । कब ,क्या किसके साथ होगा यह किसी को नहीं पता।यही हुआ था शीला और सुबोध के साथ।शीला और सुबोध की शादी को दो साल हो चुकी थी।शीला इस बार बहुत खुश थी क्योंकि वह मां बनने जा रही थी।सुबोध रेंट पर घर लेकर अपने घर से दूर दूसरे शहर में रहता था और शीला के देखभाल के लिए वहां कोई नहीं था इसलिए सुबोध अपनी पत्नी शीला को अपने घर पंजाब में छोड़कर यहां शहर में अकेले रहने लगता , वहां शीला की अच्छी देखभाल हो रही थी और सुबोध भी बीच - बीच में उसे देखने चला जाता था पर एक दिन सुबोध के पास फोन आया और उसे बताया गया कि" तुम्हारी वाइफ का मिसकैरिज हो गया है और डॉक्टर का कहना है कि वह फिर कभी मां नहीं बन सकती।" सुबोध तुरंत अपने घर के लिए रवाना होता है वह शीला को रोते देख बहुत निराश हो जाता।कुछ दिन बाद शीला को अपने साथ ले आता और वे दोनों अपने आप को संभाल जीने लगते।तभी अचानक शीला के दिल में कुछ उम्मीद जगने लगती उसे अच्छा लगने लगता ।सुबोध उसे खुश देख बहुत खुश होता एक दिन सुबोध उससे बोलता " आजकल तुम बहुत खुश रहती हो मुझे देख अच्छा लगता है" तब शीला बोलती " हमारे पड़ोस में एक पड़ोसी रहने आया है उनके पास एक बच्चा है उसे देख मुझे बहुत खुशी मिलती है आज हमारा भी बच्चा उसी की तरह होता " यह सुन सुबोध को चिंता होने लगती कि कहीं फिर शीला डिस्प्रेशन में न चली जाए ।वह उससे बात करता शीला हम एक बच्चे को गोद ले ले क्या ? क्या बोलती हो ? शीला तुरंत हामी भर देती।अगले ही दिन वे दोनों एक अनाथ आश्रम से एक प्यारी सी चार महीने की बच्ची को गोद ले लेते।अब शीला और सुबोध दोनों खुशी - खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते।
                 धन्यवाद 

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