Meena ahirwar 07 Jul 2023 कविताएँ दुःखद कविता- वस्विकता पर आधारित । कमियों को छोड़ अच्छाई को देखने की सिख। 8072 0 Hindi :: हिंदी
हैं सिखाया तुने माँ , ये दुनिया वैसी होती हैं। जैसा सोचेंगे हम , उनका मन वैसा होता हैं। कहीं नज़र ना आया माँ, जैसा तूने सिखाया था। एक कमी के खातिर माँ, लाखों अच्छाई भूल जाते यहाँ। कैसी ये दुनिया हैं माँ, जो सिर्फ कमियाँ देखती । लाख अच्छाई को भूल , क्या कमी है ये सोचती। आज तक समझ ना आया माँ , सिर्फ कमियाँ ही सब कुछ होती । फ़िर अछाइयों का मोल क्या माँ, जब कमियाँ ही सब कुछ होती । मीना अहिरवार, जिला- छतरपुर (म.प्र) ।