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भंडारा और तीन दोस्त

Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ धार्मिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/भंडारा और तीन दोस्त/ 18546 0 Hindi :: हिंदी

भंडारा और तीन दोस्त
★★★★★★★★★★★★★★★★★★

*प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर..... करण सिंह*

● तीन दोस्त भंडारे में भोजन कर रहे थे। उनमें से...
● पहला बोला- "काश.. हम भी ऐसे भंडारा कर पाते!"
● दूसरा बोला- "हाँ.. यार सैलरी तो आने से पहले ही
     जाने के रास्ते बना लेती है!"
● तीसरा बोला- 
    "खर्चे.. इतने सारे होते हैं तो कहाँ से करें भंडारा..!!"
● उनके पास बैठे एक महात्मा भंडारे का आनंद ले रहे
     थे और वो उन तीनों दोस्तों की बातें भी सुन रहे थे,
     महात्मा उन तीनों से बोले- "बेटा भंडारा करने के लिए
     #धन_नहीं_केवल_अच्छे_मन_की जरूरत होती है!"

*प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर..... करण सिंह*

● वह तीनों आश्चर्यचकित होकर महात्मा की ओर देखने
     लगे। महात्मा ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते
     हुए। कहा --- बच्चो तुम..

रोज़ 5-10 ग्राम आटा लो और उसे चीटियों के स्थान पर खाने के लिए रख दो, देखना अनेकों चींटियां-मकौड़े उसे खुश होकर खाएँगे। #बस_हो_गया_भंडारा।

चावल-दाल के कुछ दाने लो, उसे अपनी छत पर बिखेर दो और एक कटोरे में पानी भर कर रख दो, चिड़िया-कबूतर आकर खाएंगे। #बस_हो_गया_भंडारा।

*प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर..... करण सिंह*

गाय और कुत्ते को रोज़ एक-एक रोटी खिलाओ और घर के बाहर उनके पीने के लिये पानी भर कर रख दो। 
#बस_हो_गया_भंडारा।

● ईश्वर ने सभी के लिए अन्न का प्रबंध किया है। ये जो
     तुम और मैं यहां बैठकर पूड़ी-सब्जी का आनंद ले रहे
     हैं ना, इस अन्न पर ईश्वर ने हमारा नाम लिखा हुआ है।

● बच्चो..!! तुम भी जीव-जन्तुओं के भोजन का प्रबन्ध
     करने के लिए जो भी व्यवस्था करोगे, वह भी उस
     ऊपर वाले की इच्छा से ही होगा,  
     #यही_तो_है_भंडारा।

● महात्मा बोले- बच्चो जाने कौन कहाँ से आ रहा है
    और कौन कहाँ जा रहा है, किसी को भी पता नहीं
    होता और ना ही किसको कहाँ से क्या मिलेगा या नहीं
    मिलेगा यह पता होता, #बस_सब_ईश्वर_की_माया_है।

● तीनों युवकों के चेहरे पर एक अच्छी सुकून देने वाली
     खुशी छा गई। उन्हें भंडारा खाने के साथ-साथ, 
     #भंडारा_करने_का_रास्ता भी मिल चुका था।

● ईश्वर के बनाये प्रत्येक जीव-जंतु को भोजन देने के
     ईश्वरीय कार्य को जनकल्याण भाव से निस्वार्थ करने
     का संस्कार हमें बाल्यकाल से ही मिल जाता है। 
     गर्व_है_हमें_अपनी_संस्कृति_पर !
        

जय जय श्री राम


*प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर..... करण सिंह*

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