SHAHWAJ KHAN 09 Jul 2023 ग़ज़ल समाजिक अभी दरिया है, सैलाब समंदर , खाके वतन, इंकलाब , फलक , सामाजिक 12854 1 5 Hindi :: हिंदी
अभी दरिया है सैलाबे समुन्दर तो होने दो फलक के साये मे सो रहे है बो उन्हे सोने दो । ये खाके वतन की औलादे हैं इनकी आवाज नही दबती तख्ता पलट देगें ये जरा इंकलाब तो होने दो । क्या समझते हो तुम की ये कमज़ोर हैं अभी तो आगाज है शहबाज,जरा अंजाम तो होने दो ।