Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 16113 0 Hindi :: हिंदी
कर निर्माण नीड़ो का और कहीं/ पतझड़ का मोसम जो बीत गया, पत्तों का रंग तो सूख गया, अंधेरों का कल में सोर नहीं, कर निर्माण नीड़ो का और कहीं/ घेर रहा है आंधियों का घेरा, धरा पे फैल गया इसका डेरा, मचा है बादलो का सोर यहीं, लगा उड़ने का ज़ोर कहीं, कर निर्माण नीड़ो का और कहीं/ लेखक - अजीत