आज फिर एक बेटी लाश बन गयी।
हैवानो के हवस की शिकार बन गयी।।
क्या अब हमारे देश में बेटियाँ सुरक्षित नहीं।
क्या अब भी सरकार बिल्कुल लज्जित नहीं।।
इसके जैसे न जाने कितनी बेटियाँ मरी हैं।
बेटियों के साथ-साथ अब तो माँए भी डरी हैं।।
इन दरिन्दों को बीच चौराहे में लटकाया जाए।
सख्ती कार्यवाही का अस्वासन न फ़रमाया जाए।।
हो ऐसा अंजाम कि देख दरिन्दों के रूह कांप जाए।
जब चन्द नेता खड़े हो जाये बचाव में तो कहाँ मजबूर बाप जाए।।
ऐसे लुच्चे-लफ़ंगो को जीने का कोई अधिकार नहीं।
दिला सकते यदि न्याय नहीं तो सरकार तुम्हारी स्वीकार नहीं।।
~बालकवि जय जितेन्द्र
रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
#Justiseformanisha