भूपेंद्र सिंह 18 Dec 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत एक अमीर शहजादी और गरीब लड़के का संवाद, प्यार की ग़ज़ल 4964 0 Hindi :: हिंदी
गज़ल अपनी चिट्ठियों में खुद को मुसीबत का मारा लिखती है, हर रोज शादी करने का एक नया चारा लिखती है, मेरा दिल तेरे लिए हो चुका है अब खारा लिखती है, कभी गुस्से में आकर तू मुझे आवारा लिखती है, तू भी है शादी के योग्य और मुझे कुंवारा लिखती है, मैं हूं तेरी जिंदगी का अब सिर्फ सहारा लिखती है, मैंने न सुनी तेरी बात,कितनी बार मुझे पुकारा लिखती है, कभी मेरे अलावा सब कुछ ग्वारा लिखती है।। तू अपनी चिट्ठियों में मोहब्बत का नाम लिखती है, कर लूं मैं शादी का कुछ इंतजाम लिखती है, जिंदगी हो गई मेरी सुनसान लिखती है, बातें करने के लिए एक सुनहरी शाम लिखती है।। मुझे समझ न आया, तुझे मजदूर के बेटे में क्या खास लगा, तू समझती है मुझे महाराजा, मैं तो खुद को एक दास लगा।। हमारे इस प्यार के किस्से को कोई नहीं जानता, जानकर भी इस किस्से को कोई नही मानता, तुझमें मुझमें कोई भी नही है समानता।। तेरे सुनहरे बाल और चेहरे की चमक, तेरा चमकता चेहरा और और ये तेरी दमक, तेरी नशीली आंखें और गले में मोतियों का हार, इनके सामने तो कुछ भी नही है मेरा प्यार।। सच न होंगे चाहे कितने भी ख्वाब बुन लो, अब तुम चुपचाप मेरा भी जवाब सुन लो।। मैं भी खुद को मां बाप का दुलारा लिखता हू, गरीब मजदूर हूं इसलिए खुद को कुंवारा लिखता हूं, तुम समझ जाओ अमीरी गरीबी को ये एक चारा लिखता हूं, हा ठीक है मैं हो चुका आवारा लिखता हूं।। मेरे सर पर माता पिता की जिम्मेदारी है, पिता मजदूर है मां को लाइलाज बीमारी है।। महल से आकर झोंपड़ी में तू रह नही सकती, ये ठंडी गर्म हवाएं तू सह नही सकती।। तुमने जमीन पर कभी चलकर नही देखा, कड़ी धूप में कभी जलकर नही देखा, मिट्टी को अपने हाथो पे कभी मलकर नही देखा।। खुदा के वास्ते मुझ पर अहसान कर, छोड़ दे मुझे किसी और का चयन कर।। ✍️✍️✍️ भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।