Abhinav chaturvedi 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Abhinav chaturvedi 16500 0 Hindi :: हिंदी
जब सब ख़त्म सा लग रहा था, जब हर शुरुआत ही अंत लग रहा था, जब हर काम को बेमन से करना जारी था, जब खुद के पेट के लिए खुद का खाना तक लाचारी था। जब लोग पागल कहते-कहते मुझको, हँसने लगते थे, जब नए-नए चुटकुले, नए-नए नाम गढ़ने लगते थे, मेरे उस दुःख में मेरे अपने, मुझमे ढलने लगते थे। क्या सुबह, क्या दोपहर, मैंने मन से हर समय को शाम किया, उस दुःख में भी मैने ,अपने प्यार को याद किया। सबको मैने सिख दिया, रिश्ता जितना दूर तक चले, दूर होने में उतना दर्द होता है, दर्द से जितना आँख भरे, याद में उतना मन रोता है। जब सब सोते थे, रातों में हमारी बातें जारी रहती थीं, जब सुबह की रौशनी पड़ती, हमारी आँखें आराम के लिए आहें भरती थीं, ऐसे कई मौकों पर प्यार याद आया, उन यादों को आंसूं के बूंदों में उतार लिया, उस दुःख में भी मैने,अपने प्यार को याद किया। मुझे चार साल का सिख मिला, अच्छा प्यार, हर रात- हर दिन मिला, मेरी ये सिख, मुझ पर ही फिर आ पड़ी, लग रहा था जैसे, मेरी ज़िंदगी मुझसे ही आ लड़ी। उस समय ,उस स्थिति में एक सिख याद आया― *इश्क़, मुहब्बत, प्यार, को ज़माना बहाना मानता है,* *ये तो निगाहों की शरारतें हैं, जिस पर बीतता है केवल वही जानता है।* हमारे प्यार पर ऊंच-नीच का दबाव था, नही चाहते थे हम, प्यार पर हमारे जात-पात का घाव बने, दोस्ती से ही तो प्यार किये थे, प्यार से अब हम दोस्त बनकर दोस्ती का लगाव रखें। दुःख तो हुआ कुछ समय, मैंने गायत्री मंत्र तक का जाप किया, कोई चीज़ से बात न बना , मैं दोस्ती का फ़रियाद किया, उस दुःख में भी मैंने, अपने प्यार को याद किया। वो प्यार मेरा कम नहीं, दूर होने के बावजूद, प्यार किया नफ़रत नही। अपने घर की ही वो शान बने, अपने भाई-बहनों की प्यार रहे, वो अपने माँ-बाप की ही जान बने। दूर हुआ तो क्या हुआ? प्यार किया, नफ़रत को दरकिनार किया, उस दुःख में भी मैने, अपने प्यार को याद किया। उसके संग हर-एक बात किया, हर एक लम्हा साथ जिया, उस दुःख में भी मैने, अपने प्यार को याद किया।