Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत संगनी 17265 0 Hindi :: हिंदी
दिशाओं को बताती जख्म को सहलाती हवाओ में फैलने वाली फिज़ाओं को सजाती प्रकृति से सुशोभित ओश की शबनमी बूँद मेरी सोच में तैरने वाली संगनी ही तो है कुछ पाने की इच्छा कुछ खोने का डर गिरने से पहले टुटने बिखरने का डर चाँद सी चमक चकोर सा चित चोर मेरे कदमो की रफ्तात और उस मे संगनी ही तो है चारो दिशाओ में चलती खुशबू इन्द्रधनुष सी रंग सतरंगी धरती से आकाश तक पर्वतो सा बुलन्द चट्टान सा अटल वादियां झरना और सरोवर इस में बहने वाली और मेरी बिखरी यादों को संजोती संगनी ही तो है सपना सजाती रस्मों रिवाज़ो बताती सोई इच्छा मन मे भव प्रकट कराती मृत शरीर में तृष्णा जगाने वाली और मेरे हर हृदये में बसने वाली संगनी ही तो है