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किसान

Ratan kirtaniya 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम बालपन में एक व्यक्ति किसान होने का स्वपना देखता है वह व्यक्ति बड़ा होकर अपने खेत में मानवता का फसल खोता है फसल को क्रांति का वीर रुप में मर्मिक चित्रण किया गया है 14226 1 5 Hindi :: हिंदी

अबोध बालपन -
कितना नादान -
बड़ा होकर बनू किसान ;
यहीं सोचता रहा -
एकाग्रता से पिता का श्रम देखता रहा -
मेरा नादान बालपन सपना सजाता रहा -
बालपन की कौतूहल ;
बड़ा होकर -
पिता जी की तरह चलाऊँगा हल । 


बालपन तो खेल - खेल में बीताया ;
ना भूला उसे -
मैं ने जो सपनें सजाया ;
कितना हर्ष -उल्लास की बात है ,
साकार हो सपना -
कर्म -भू करती स्वागत है ,
कितना अंतर्यामिनी कौतूहल ;
बन गया किसान -
चलाऊँगा हल ;
बीज की अंकुर उगलेगा ,
फसल खनकेगा -
मान - सम्मान भी झलकेगा ।


मैं अबोध -
खेत में हल जोत कर ;
मैं ठग गया -
मानव - ममता की बीज बोकर ,
नूतन किसान -
समझ में कुछ ना आया ;
बीज एक भी ना उगला ,
श्रम में कहाँ था कमी -
या भू - धर में अधिक नमी -
हे बीज बोल तो मुझे -
कितनी आश से बोया था तुझे -
क्या मैं ने गलत बीज चुना था ?
भू - धर बाँझ होती है ;
बात ऐ भी सुना था ,
संशय है मुझे -
भ्रष्टाचार से डरकर ;
भू - धर नीचे मर गया तू सड़कर ।


मेरी उर की अभिलाषा -
मानव - ममता की द्रुम उगलेंगे ;
द्रुमों की मृदु छाँय में -
बैठेगा लाचार - भूखा - प्यासा ;
सब लेंगे चैन की साँस ;
पर अंकुर एक भी ना फूटा ,
टूटा जीवन की आश ;
बालपन का सपना टूटा ,
थी इतनी अभिलाषा -
अंकुर उगलेगा ,
द्रुम खिल उठेगा -
खिलेगा - फूलेगा - फलेगा -
मीठा - मीठा फल ;
मेरे अभिलाषा को लिया निगल -
यमराज की काल ।


डी, ए , पी - जैविक - जाइम - पोटाश ;
उस में मिलाया -
मेरी उर की आश ;
रे बीज -
तुझे तो बोया अभिलाषा से -
तुम फलों - फूलों ;
जिंक भी डाला ,
क्यों नहीं फूटा अंकुर ?
तुझे झल - कपाट से डर है ;
चारों तरफ फला - फूला भ्रष्टाचार हैं ,
फूट जा रे -
सुन तुझ से एक बात है -
इस युग को तेरी जरुरत है ।

भ्रष्टाचार किस्मत वाला है ;
बिना जतन के -
कितना फला - फूला है ;
बड़ी अभिलाषा से मानव - ममता बोया है ;
तेरे लिए नयन मेरी कितना रोया है ,
तू फूट जा -
तेरे डाली - डाली पे ;
क्रांति वीर खिलेंगे ,
देख लेना -
आमने - सामने खड़ा -
आज शिष्टाचार - भ्रष्टाचार ;
अस्त्र - शस्त्र लेकर -
दोनों पक्षों की वीर खड़े हैं सज - धजकर ,
जैसे नेवला - नाग ;
रण भूमि तैयार है ,
बज चुकी शंखनाद ,
पक्षों की युद्ध वीर -
तैयार हैं लेकर धनुष तीर ;
कर्म वीर तू भ्रष्टाचार की सीना चीर -
खून से उसकी ! वतन को सींच -
इतिहास की पन्नों में -
खून से लाइन खींच ,
करों क्रांति वीर का आह्वान ;
भ्रष्टाचार से रोता बिलक - बिलक कर वतन ।


रे बीज तू भू में धस गया -
मत समझ तू बच गया ,
फिर मानव - ममता बीज लाऊँगा -
तेरा करुँँगा जतन - 
फिर हल जोत के ;
तुझे बोएगा रतन ,
इस बार तुझे उगलाऊँगा ,
वैज्ञानिक पध्दति अपनाऊँगा ,
माटी का पी ,एच मान कराऊँगा ,
मानव - ममता की बीज -
क्यों नहीं उग रहा ?
कमी खोज निकालूँगा ।


अगर तू वर्जन   -
 तो कर ले यौन मिलन ;
अंकुर फूट जाएगा ,
बालपन का सपना  साकार हो जाएगा ,
आज - कल मत कर -
बालपन का सपना है -
कल को काल खा जाएगा ;
सपना गर्द में मिल जाएगा ,

अगर  अंकुर फूट गया -
समझ ले भ्रष्टाचार -
तेरा नसीब फूट गया ,
खेत खलिहान में होगा -
मानव -ममता की हरियाली ,
सब को दिखलाऊंँगा ;
मैं सफल किसान बन जाऊँगा -
इतिहास लिख जाऊँगा ।

भ्रष्टाचार - शिष्टाचार पे भारी है ;
पेड़ की डाली - डाली  पे भ्रष्टाचार हैं ,
सुन भ्रष्टाचार -
पतझड़ भी आता है ;
नव पल्लव खिलता है ,
यहीं भू - धर की रीत है ,
क्रांति वीरों के होठों पे -
क्रांति का गीत है ।

सुन भ्रष्टाचार तू -
आज फल - फूल रहा है ;
मत कर खुद पे नाज़ ,
तेरे सिर पे अधर्म ताज
समझ ले -
गर्द में तू मिल जाएगा ,
कितनी खुशी की बात है -
अंकुर फूटने वाला है -
स्ववपन  साकार होने की बात है ।


सुन रे भ्रष्टाचार -
कुछ कह रहा है शिष्टाचार ;
धर्म - अधर्म पे सदा विजय पाया है ,
होगा तेरी उल्टी गिनती शुरु -
जब होगा क्रांति का जंग शुरु ,
तुझे गर्द में मिल जाना है ;
क्रांति वीर -
भ्रष्टाचार से देश को आजाद दिलाना है ;
मैं किसान हूँ -
मानव - ममता  बीज के अंकुर -
उगलाके सब को दिखाना है ;
स्नवपन को साकार करना है ।


सोने वाले जग के देखो -
अभी भी अंगड़ाई है ;
शिष्टाचार - भ्रष्टाचार की लड़ाई है ,
एक - दूजे पे करती चढ़ाई है ,
हर वीरों ने -
मारने - मरने की प्राण प्रतिज्ञा करके आई हैं ,
शिष्टाचार शेर है ;
आह्वान की देर है ,
मनस्थ हो आश ;
शिष्टाचार - भ्रष्टाचार कि -
खूनों से बुझाएगा प्यास ,
सदा धर्म - अधर्म पे पताका फराई है ,
नव भारत की नव तिरंगा फहराएगा ;
पहले उसे खून से नहलाएगा ;
शिष्टाचार विजय गाथा लिख जाएगा ,
अंकुर फूट जाएगा ,
खेत रतनों से खिल जाएगा ।
            
         रतन किर्तनिया
           छत्तीसगढ़
       जिला :- काँकेर
          पखांजुर
 मो* 9343698231
        9343600585




Comments & Reviews

Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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