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प्यार अमर-हैं अजीब ये संयोग यह

ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 22 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #lovepoem #poem ब्राह्मणसुधांशुsudh #hindikavita 80157 0 Hindi :: हिंदी

हैं अजीब ये संयोग यह , 
तुम्हारा नही ये वियोग यह ! 
प्रिय प्रियतमा मैं तुम्हे कितना चाहूं, 
जितना चाहूं  तुम्हें  बता ना पाऊँ  । 


सामने तुम आती हो, 
जादु सा कर जाती हो, 
कुछ भला तुम्हें कैसे कहूँ मैं! 
मेरी आवाज़ तुम दबा जाती  हो। 

जितना चाहूं तुमको मै, 
उतना तुमको कम लगता है, 
तुम्हारी सारी परेशानियों से, 
अब मुझको भी डर लगता है। 


तुम मुझे अपनी सुनाओ, 
मैं अपनी बात तुमसे कहूँ, 
थाम कर हांथ मैं तुम्हारा , 
तुम्हारी सारी मुश्किले मैं सहूं ! 


इस सफर की हमसफ़र तुम हो, 
मेरे जिंदा रहने की वजह तुम हो, 
तुम थी, तुम हो, तुम्हीं रहोगी, 
मेरे दिल में मेरे मन मे तुम ही बसोगी।  


ख्वाहिश ये है कि , 
मेरे आखिरी वक्त मे  , 
मैं तुम्हारा हांथ पकडूं, 
तुम आखिरी बार मेरे गले लगों , 
मैं आखिरी बार तुम्हें देखूँ ! 
हर जन्म में फिर से मिलने का , 
तब वादा  हम  करे , 
दे कर साथ जन्म जन्मों तक , 
इस प्यार को हम अमर करे।

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