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रात का चांद

Shveta kaithwas 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 17865 1 5 Hindi :: हिंदी

रात का चांद किसी और के हैं वो
हमें तो बस खाली आसमान नज़र आता है अब।।
आंचल भरा रहता था जो चांद तारों से ,अब
वही फटा नज़र आता है अब।।
कोई साथ का वादा ,कई दिनों का ,कई दलों का सफर हमारा उन्हें अधूरा उन्हें पूरा आता है नज़र।।
कही कुछ दो शब्द मुझे कह दो मुझसे ,वो कहते है कि आरजू है खत्म,मतलब नही आता कुछ नज़र।
मेरा साया ,परछाई बताकर साथ रहा जो सदा,
वही साथ भुला आता है नज़र।।
ये एहसास उनको भी है  की मेरा बात करना उन्हें गुनाह आजिम है,,
ये दर्द भी झलक जाता है कभी उधर कभी इधर ।।
साथ समंदर तक जाने का था सीधा रास्ता उन संग अब अकेले तो नज़र आता है खंडहर ।।
सिर्फ चाल तक सीमित था प्यार उनका ,
अब बेवफा नज़र आता है सनम।।

Comments & Reviews

Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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