मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मैं सैलानी आया इस देश साथी मिले काम-क्रोध-मोह-लोभ-अहंकार,कमाना था कुछ माल-असबाब रह गए सब ख्वाब। मुट्ठी बांध आया इस जगत,जाना है हाथ पसारे उस देश। 14308 0 Hindi :: हिंदी
मैं सैलानी आया इस देश, राही हूं जीवन के डगर। मिले पांच रहते हैं अंदर, हैं काम-क्रोध-मोह-लोभ-अहम।। कमाना था कुछ माल-असबाब, समय बीत गए और सब खवाब। मुट्ठी बांधे आया इस जगत, हाथ खोल कर जाना उस देश।। राही हूं जीवन के डगर, मैं सैलानी आया इस देश! मोती-