Jyoti yadav 10 Dec 2023 ग़ज़ल बाल-साहित्य मुझे अब भी याद है 3508 0 Hindi :: हिंदी
मिट्टी के घरौंदे, कागज़ की नांव बारिश की बुंदे और पिपल का छांव फूलों की बगिया खुबसूरत सी कलियां हंसता मुस्कुराता वो मासूम सा चेहरा मुझे अब भी याद है ना फिक्र किसी बात की ना कोई डर था ज़मीं भी अपनी आसमान भी अपना घर था चाहे हो मस्ती या फिर शरारत हर चीज में मिलती थी महारत मुझे अब भी याद है सुरज का हर रोज आना मेरे मां का मुझे जगाना और फिर उनका मुझे प्यार से गले लगाना मुझे अब भी याद है मेरी हर शरारत के बाद उनका यूं मुस्काना फिर पापा के डांट से बचाना और उनका हमें समझाना मुझे अब भी याद है कहती थी मैं चांद हूं उनके गगन की हमने भी देखी थी यह खुबसूरती बचपन की मुझे अब भी याद है ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏