दरारे पड़ गई है साहब
घर में मेरे
लगता है घर मेरा बूढ़ा हो गया है
जो आंगन में लगा है नीम का पेड़
सूखा सूखा दिखता है
महज़ कितनी पीढ़ियां देखी है इसने
की सब अब अधूरा अधूरा हो गया है
ओर गांव की गलियां भी
उदास उदास रहती है
मानो
जैसे ज़िन्दगी का फहर
अब पूरा हो गया है
ओर ज़िन्दगी कब तक जीता रहेगा ये जिस्म मेरा
इससे कह दो
ये पुराना पूरा हो गया है