Jyoti yadav 20 Apr 2024 ग़ज़ल अन्य #राजमहल#परी##और सूकून 2389 0 Hindi :: हिंदी
आ ले चलू तुम्हे ख्वाबो के शहर मे जहा रहती है परी कोई राजमहल मे मखमल सी कोमल अजिज जमी होती है सुकून जाना पहचाना गम ए दर्द अजनबी होती है।।।।।।।। हर तरफ रहती है खुशियो की शुआ यू लगता है ऐसा जैसे आसमा दे रहा हो दुआ खुद को खुब महफूज पाती हू जब विभावरी के आगोश मे जाती हू ।।।।।। यू,बाते करती हू मै सितारो से बैठ छत माह के उजियारो से गर्दिश को भी साथ मेरा खूब भाता है पर क्या करू कमबख्त ए सुबह बहूत जल्दी आता है मुझे चाद तारे और हवा पसंद है हसती मुसकुराती फिजा पसंद है पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर है रात के बाद सवेरा तो दस्तूर है।।।।।। प्रभात को तो आना ही है खूश हू मै दिखाना ही है।।।।। ज्योति यादव के कलम से