Shubhashini singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google /Yahoo/Bing /instagram/Facebook/twitter 30338 0 Hindi :: हिंदी
ये फूल भी हमारी तरह होती है जिनको जैसी परिस्थिति मिले वैसी ये होती जाती है ज़िन्दगी की शुरुआत में हम नाजुक से होते है ना हमें जिंदगी का अनुभव होता है ना ही हमें किसी की पहचान होती है थोड़ी उम्र बढ़ते ही हम खिलते है थोड़ी दुनियां देखते है थोड़ा जीवन में उतार चढ़ाव आता है ऐसे ही हमारा जीवन चलता रहता है एक वक्त ऐसा आता है जब हम मुरझा जाते है थोड़ी जीने आश मिलते ही खिलना शुरू ही करते हैं ये दुनियां वाले फिर से हम उसी दौराहे पर लाकर खड़ा कर देते है जहां जीने की कोई आखिरी उम्मीद ही नहीं होती है फिर हम ऐसे मुरझाते है कि दुबारा कभी खिल नहीं पाते और वो होता है हमारे जीवन का अंत....