मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #kalandar#darvesh#gajal#hindigajal 41952 0 Hindi :: हिंदी
जितना बाहर उतना अंदर है तो मैं क्या करूँ वो अगर दरिया या समंदर है तो मैं क्या करूँ अपने मिज़ाज का मैं भी अड़ियल फकीर हूँ अपने मिज़ाज का वो सिकंदर है तो मैं क्या करुं मैं भी फरिश्ता हूँ बा वजू इबादत मे रहता हूँ वो कोई दरवेश या कलंदर है तो मैं क्या करूँ मै भी लावा हूँ अक्सर गुस्से मे फूट पड़ता हूँ वो अगर रास्तो का बवंडर है तो मैं क्या करूँ है दुनियां आबाद मेरी खुदा का करम है'आलम' वो बियाबान है या खंण्हर है तो मै क्या करूँ मारूफ आलम