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महँगाई- महँगाई से सारी आवाम परेशान है

संदीप कुमार सिंह 30 May 2023 आलेख समाजिक मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4992 0 Hindi :: हिंदी

वर्तमान महँगाई से सारी आवाम परेशान है।प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु स्तिथि की एक हद बनाई है। कोई भी बात, काम, चीज जब अपने हद तक रहे तो लोगों के द्वारा अति पसंद किया जाता है। आज के समय में आय के स्रोत बहुत ही अल्प मात्रा में लोगों के सामने है। जनता आय कम कर रही है, इनके पास आय के खास और मजबूत स्रोत नहीं के बराबर है। और यहां भारत देश में तो यह कहा जाता है अनेकता में एकता यह तो ठीक है। तो कहने का तात्पर्य यह की यही एकता लोगो के हरेक काम में हों। अब सवाल यहां यह खड़ा होता है कि गरीब जनता क्या करे?
बड़े _बड़े पूंजीपतियों का भी यहां कमी नहीं है। एक से बढ़कर एक धनाढ्य वर्ग अपने भारत में हैं। इनके लिए किसी भी हद की महंगाई तो कोई परेशानी नहीं देगी। परंतु गरीब, मध्यम वर्गीय परिवार अब क्या करे? इस प्रकार के परिवार इस भीषण महंगाई से डर जाते हैं, लाचार हो जाते हैं तथा अपने आवश्यकताओं को कम कर लेते हैं। और आधुनिकता के दौड़ में पीछे रह जाते हैं। अपने मन को मार लेते हैं। खुद से खुद का ही दोषी मानने लगते हैं।
बीमारियों का सही से इलाज नहीं करा पाते हैं। और असमय मौत के गाल में समा जाते हैं। आज के बहुतेरे सुख के साधन से वंचित रह जाते हैं। सिर्फ एक आह ही बची रहती है। एक दर्द _एक पीड़ा, एक चुभन, एक ज़ख्म को ढोते हुए जिदंगी रूपी अनमोल गाड़ी को खींचा जाता है। आख़िर जिम्मेदार कौन? स्वयं जनता या सरकार। या अभी भी जागरूकता की कमी है। सरकार का मतलब होता है:_जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का। तो अब स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि इस भीषण महंगाई का जिम्मेदार सरकार ही है। उनको गरीब जनता की फिक्र नहीं है। आप कुछ भी बड़े से बड़े विकास रूपी कार्य कर रहें हों, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं होना चाहिए की गरीब जनताओं को भीषण महंगाई से ही मार दें। इनके सारे पैसे खाने_नहाने में ही चला जाए। और सुख सुविधा कहां से खरीदेंगे? देश में महंगाई से आवाम त्राहि_त्राहि कर रहें हैं। अभी भी वक्त है की महंगाई के ऊपर एक सुलभ संतुलन कायम किया जाय।अन्यथा जनता का आक्रोश जब सड़कों पर आएगा तो  सरकार को भ्यावह स्तिथि से गुजरना पर सकता है।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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