कुमार किशन कीर्ति 10 May 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत आशिक़ी,तन्हाई, रुसवाई 19091 0 Hindi :: हिंदी
1 तुम्हारी इश्क़ की रुसवाई की चर्चा नहीं करेंगे,तन्हाई का गम पीकर हम तन्हाई में जी लेंगे। 2 यह आशिक़ी बड़ी जालिम है, कमबख्त गम देती है।आँखों से शुरू होकर ये आँखों को आँसू देती है। 3मेरी तन्हाई अब मेरी साथी है। मुझे महफ़िल नहीं चाहिए, कमबख्त अब महफ़िल मुझे रुलाती हैं। :कुमार किशन कीर्ति