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चलो इक उम्र चुरा लूँ-उस दरिया में फासला बना लूँ

मनोज कुमार 30 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #चलो इक उम्र चुरा लूँ#रुसवाईयां #बेवफाई #मुहब्बत इक दर्द 6378 0 Hindi :: हिंदी

चलो इक उम्र चुरा लूँ

चलो इक उम्र चुरा लूँ, उस दरिया में फासला बना लूँ
ना चुमूँ उन होठों को, ना देखूँ उस नज़र को कभी...
जिसके इश्क में अकसर मेरा दिल बेपनाह था,
ना समझा कभी ये कि कोई मेरा भी अपना है
जिसे अब तक साथ में थीं, एक अंजुरी सपना है
इक दिए - सा जलता है दिल इक कुंआ -सा गहरे ये गम
कैसे रहगुजर मिले वो, इक कांटे के सफ़र मिले वो
अब लहरें भी नहीं उठती है इस दिल से...
क्या बात करूँ उससे, क्या बात करूँ उससे...

नहीं जाना था कभी ये कि परछाइयाँ होंगे वो
मुझे अपना कहकर हरपल दुश्वाइयाँ देंगे वो
अब लांघना नहीं चाहता हैं दिल उसकी चौखटें...
भलेही ये जिन्दगी मेरी पल - पल आँसुओं से भीगे
हर किसी के सूरत पे ख्वाब बनके डूबे...

बंद कर लूँ मैं ये प्यारी सी आँखें, ना खोले दिल के १गिलाफ
ना उपजे कोई दर्द, पड़े रहने दो ये दिल बंजर होके भी
चलो इक उम्र चुरा लूँ, तन्हाइयों के साथ सोऊँ,
ना देखूँ उसे ना सोचूँ उसे उनके २महफिलें - रंगो -बू,
जो खुश होकर साथ रहकर, मेरे बाहों में बिखेरा था खुशबू

१आवरण  २आनन्द की सभा 

  
- मनोज कुमार
  गोण्डा उत्तर प्रदेश

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