Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 66999 0 Hindi :: हिंदी
कविता- रंगों की होली आ तुझे प्रेम रंग में रंग दूं मेरी राधा डालूंगा रंग कभी थोड़ा कभी ज्यादा गोकुल की गलियों में धूम मची है नव गीतों में थिरकेंगे,बजेगा बाजा ढूंढ रहा हूं तुझको मैं गली-गली हाथों में गुलाल लेकर खेलने होली मुझसे रूठ कर कहां छुप गई हो तुम मेरे पास आ जाओ रानी हमजोली धरती आज पहनी है बहुरंगी साड़ी झूम रहे हैं सभी यदुवंशी पीके ताड़ी तन-मन उड़ रहा है खुले गगन में गलियों में घूम रहे हैं बैठे बैलगाड़ी पूछ रहा हूं पता मैं उड़ते पवन से ले आओ मेरी प्रेमिका को कसम से ना मना पाऊंगा खुशी से मदनोत्सव हे!बयार कह दो जाके मेरी सनम से श्याम रंग में रंगी आ गई ब्रजरानी कान्हा के कानों में सुना रही कहानी मैं ढूंढ रही थी तुमको वृंदावन में मुझे रंगो अपने रंग,मैं तेरी दीवानी कवि- अशोक कुमार यादव पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत) पद- सहायक शिक्षक पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020 प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'