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शक्तिमाई मंदिर मुंगेली

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक 14675 0 Hindi :: हिंदी

शक्तिमाई मंदिर मुंगेली

जिला मुख्यालय मुंगेली से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर, पश्चिम दिशा में पण्डरिया रोड में; मुख्य सड़क से दक्षिण दिशा में 200 मीटर पर शक्तिमाई मंदिर स्थित है। जिस स्थान पर देवी मां स्थित है, वह स्थान ग्राम पेण्डाराकापा का खेत-खलिहान है। मंदिर खेत के बीचों-बीच स्थित है। मुख्य सड़क से आने-जाने ने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है।

शक्तिमाई का उद्गम:-
जय शक्तिमाई सेवा समिति के कोषाध्यक्ष राजेंद्र कुमार साहू और जनश्रुतियों के अनुसार- शक्ति माई की मूर्ति पीपल वृक्ष के जड़ के पास से भूमि के अंदर से धरातल पर आज से 150 से 200 वर्ष पूर्व स्वत: ही प्रगट हुई है। शक्तिमाई खेत-खलिहान के बीचों-बीच स्थित है, इसलिए यह स्थान पहले शक्ति खार के नाम से प्रसिद्ध था। शक्तिमाई मंदिर के सामने माता की सवारी शेर और भैरव बाबा स्थित है। वहीं  पर समीप में सीताफल के वृक्ष है और बड़ा सा घंटा लगा हुआ है।

शक्तिमाई मंदिर का निर्माण:-
शक्तिमाई मंदिर को आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व मुंगेली निवासी श्री अनिल नारवानी सिंधी के द्वारा निर्माण कराया गया था। मंदिर के आसपास की जमीन को श्रीकांत गोवर्धन और चैतराम साहू के द्वारा दान दिया गया है।

शक्तिमाई मंदिर के पुजारी:- 
शक्तिमाई मंदिर में प्रथम पूजा श्री अनिल नारवानी के द्वारा किया गया था। शक्तिमाई ग्राम वासियों की कुलदेवी होने के कारण पूजा पाठ की जिम्मेदारी गांव के लोगों को दे दी गयी। ग्राम पेण्डाराकापा में हाथीराम साहू नाम का एक व्यक्ति रहता था। एक रात जब हाथीराम साहू अपने बिस्तर पर सोया हुआ था, तब शक्तिमाई उनके स्वप्न में आयी और अपनी पूजा-पाठ करने के लिए कही‌। तब से पुजारी वहीं पर घर बना कर रहने लगा और शक्तिमाई की पूजा-पाठ करने लगा। वर्तमान में संजय पाण्डेय पंडित तीन-चार वर्षों से पुजारी के रूप में कार्य कर रहे हैं।

ज्योति प्रज्वलित:- 
प्रथम बार ज्योति प्रज्वलित डोंगरीगढ़ खुड़िया,लोरमी और शक्तिमाई मंदिर में एक साथ की गई थी। प्रतिवर्ष चैत एवं क्वांर माह में दो बार 9 दिनों तक माता रानी की सेवा किया जाता है। मंदिर निर्माण के पूर्व से ही ज्योति प्रज्ज्वलित की जा रही है। पेण्डाराकापा के ग्राम निवासी और श्रद्धालु लोग कामना से ज्योति जलवाना प्रारंभ किए हैं। प्रतिवर्ष 800 से 900 ज्योति प्रज्वलित की जाती है। वर्ष 2022-23 में 836 ज्योति जलाई गई, जिसमें तेल, घी और जवारा कलश शामिल है। ज्योति प्रज्वलित कराने की राशि तेल ज्योति 801 रुपया, जवारा ज्योति 1001 रुपया और घी ज्योति 1500 रुपया है। 

शक्तिमाई मंदिर के आसपास का भवन निर्माण:-
शक्तिमाई मंदिर के आस-पास पेण्डाराकापा के ग्रामवासियों और जय शक्तिमाई सेवा समिति के द्वारा एक जवारा कक्ष, दो ज्योति कक्ष और एक मंच का निर्माण कराया गया है।

पीपल वृक्ष की परिक्रमा:-
पीपल वृक्ष बहुत ही बड़ा और प्राचीन है। पीपल वृक्ष के चारों ओर कृष्ण देवता, काली माता और शंकर देवता स्थित है। भक्तजन मनोकामना पूर्ति हेतु 1008 बार या 108 बार या 508 बार या 5 से 7 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा करते हैं। पीपल वृक्ष की टहनी में घंटी लगी है। हर परिक्रमा पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं द्वारा घंटी को बजायी जाती है। परिक्रमा करते समय श्रद्धालु जन चांवल, फूल और लायची दाना भगवान को अर्पित करते हैं। पीपल की टहनी में मनोकामना पूर्ति हेतु नारियल और चुनरी बांधी जाती है।

जस गीत भजन मंडली:-
आसपास के गांव के भजन मंडली को आमंत्रित कर जस गीत गाकर और ढोल,नगाड़ा बजाकर माता रानी की सेवा गीत गाते हैं।

दुर्गा माता की स्थापना:- 
प्रतिवर्ष समिति के द्वारा शक्तिमाई मंदिर के समीप दुर्गा माता के मूर्ति की स्थापना की जाती है।

जय शक्तिमाई सेवा समिति पेण्डाराकापा का गठन:- 
जय शक्तिमाई सेवा समिति का पंजीयन क्रमांक- 31203 है। इस समिति के अध्यक्ष जगदीश साहू, उपाध्यक्ष मोहन साहू, कोषाध्यक्ष राजेंद्र कुमार साहू, संरक्षक मालगुजार श्रीकांत गोवर्धन और पार्षद मोहित बंजारे हैं।

माता रानी शक्तिमाई के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं का आगमन:-
दूर-दूर के गांवों एवं शहरों के श्रद्धालु सुबह 4 बजे से रात्रि के 2 बजे तक आते हैं और नारियल, अगरबत्ती, सुहाग श्रृंगार, हलवा का भोग एवं लाल कमल का फूल चढ़ाकर माता रानी की पूजा करके मनोवांछित वरदान पाते हैं। 9 दिनों तक लगभग एक लाख श्रद्धालु आते हैं। कई भक्त जो मन्नत मांगे हुए रहते हैं, वे लोग हाथों में नारियल लेकर सो कर रास्ते को नापते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं।

सड़क के किनारे दुकानें:- 
नवरात्रि के समय शक्तिमाई मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर शक्तिमाई मंदिर तक पूजा सामग्री की दुकानें, प्रसाद की दुकानें, खिलौनें की दुकानें, अंगूठी की दुकानें, कपड़े की दुकानें और भोजन की दुकानें लगा होता है।

शक्तिमाई मंदिर के समीप स्थित अन्य मंदिर:-
1) शंकर मंदिर:- शंकर मंदिर को श्रीमती सोनमत बाई के द्वारा सन 2005 दिन सोमवार को निर्मित कराया गया है।

2) हनुमान मंदिर:- हनुमान मंदिर को श्री मनोहर यादव पत्नी श्रीमती गोदावरी यादव ग्राम भदराली के द्वारा निर्मित कराया गया है।

3) साईं मंदिर:- साईं मंदिर को स्वर्गीय श्री लालजी सोनकर, स्वर्गीय श्रीमती गुलाबा बाई और उनके पुत्र स्वर्गीय श्री रामकिशन सोनकर के स्मृति में सन 2019 में समस्त सोनकर परिवार डिलवापारा एंड्रयूज वार्ड मुंगेली के द्वारा निर्मित कराया गया है। 

4) शंकर मंदिर:- शंकर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, गणेश और नंदी बैल विराजमान है। इस मंदिर को श्रीमती उर्मिला साहू दाउपारा मुंगेली के द्वारा सन 2015 में निर्मित कराया गया है।

5) शंकर कुंड:- शंकर कुंड के पास नंदी बैल और त्रिशूल स्थित है। कुंड के बीचों-बीच एक ऊंचे स्थान पर शंकर भगवान बैठे हुए हैं। उनके जटा से गंगा माता प्रवाहित हो रही है। श्रद्धालु जन मनोकामना की पूर्ति, सुख एवं शांति हेतु सिक्का, मुर्रा और लाल कमल फूल चढ़ाते हैं। कुंड में छोटी-छोटी मछलियां और कछुए हैं।

6) शनि मंदिर:- शनि मंदिर को स्वर्गीय श्रीमती ललिता बाई और श्री प्रेमलाल भठली वाले की स्मृति में श्रीमती लक्ष्मीबाई और श्री शिवकुमार राजपूत मुंगेली के द्वारा निर्मित कराया गया है।

7) काली मंदिर:- कली मंदिर अभी निर्माणाधीन है।

लेखक- अशोक कुमार यादव
पद- सहायक शिक्षक
अध्यक्ष- राष्ट्रीय कवि संगम इकाई मुंगेली 
संस्था- शासकीय प्राथमिक शाला दाबो
पता- शिक्षक नगर जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़
प्रकाशित पुस्तक- युगानुयुग
सम्मान-1) मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण शिक्षादूत पुरस्कार से सम्मानित।
2) छत्तीसगढ़ हिन्दी रत्न सम्मान।
3) देशहा यादव गौरव सम्मान।
4) बेस्ट टीचर अवॉर्ड।
5) शिक्षा के योद्धा सम्मान।





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