संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4709 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद आया मन आनंद में,खुद पर अब है नाज। बिन मौसम बरसात से, रसिया हुआ मिजाज।। रसिया हुआ मिजाज,हुआ फूलों सा जनता। सुरभित हुआ समाज,दिव्य विचार अब बनता।। कहते कवि संदीप,ईश की सब है माया। भक्तों का दे साथ,समय रसमय अब आया।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....