Ranjana sharma 01 Mar 2024 ग़ज़ल दुःखद खता हो गई मुझसे#Google# 4467 0 Hindi :: हिंदी
एक खता हो गई मुझसे ना करना था पर प्यार हो गया तुझसे बहुत दूर करना चाहा खुद से पर तुम उतना ही जुड़ गए मुझसे मिन्नते मांगे कई हमने अपने रब से दिल को भी हमने समझाया ओ भी ना मानी पर मुझसे खुद को ही कैद कर लिया खुद से नाराजगी सी हो गई हमें अपने ख्यालों से निकालना चाहा तुझे अपनी यादों से रुस्वत कर दिया हमने अपने दिल के दरवाजे से भटकना भी गवारा नहीं तेरे आस पास से हमने कदम रोक लिया सुनकर तेरी आहटों से मुस्कुराना भी छोड़ दिया तेरी बातों से हमने उस पन्ने को भी फाड़ दिया जिंदगी के किताबों से तब पर भी क्यों रोक ना पाए खुद को तुझसे तेरी ही ओर खींचे चले गए जैसे पतंग की डोर हवा से डरते हैं अब हम जमाने से कहीं इल्जाम ना लग जाए तेरे बहाने से अब तो यही दुआ है मेरे रब से जो भी करना भरोसा ना टूटे तुझपे से धन्यवाद🙏