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मेरी मुस्कान-लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर

DINESH KUMAR KEER 03 Jan 2024 कविताएँ हास्य-व्यंग 9116 0 Hindi :: हिंदी

लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि,
मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की... 
ज़िंदगी से जो मिला कबूल किया,
किसी चीज की फरमाइश नहीं की... 
मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि,
जीने के अलग अंदाज हैं मेरे... 
जब जहाँ जो मिला अपना लिया,
जो ना मिला उसकी ख्वाहिश नहीं की... 
माना कि औरों के मुकाबले,
कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने... 
पर खुश हूँ की खुद को गिराकर,
कुछ उठाया नहीं मैंने...! 
-दिनेश कुमार कीर

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