Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक This poem is mostly based on saying to the Deepavali Festival. 26372 0 Hindi :: हिंदी
बालमिक रिषी कर्मों को, करता हूं नमन मैं श्रद्धा से! तूलसी को नमन है कोटी - कोटी, मेरी प्रमार्थ की अविधा से!! चरितार्थ नाम को दिव्य किया, र्दशन पाकर लक्क्षमी नारायन का! दिपो वाली है दिव्य दिपावली, राम अवध के आयन का!! था कर्म जहां सत कर्म बना, सत्यूग मे प्रभू ने जन्म लिया! वेद पूराण की गाथाऐँ , चरणों को राम के नमन किया!! र्मयादा के पालन कर्ता, विश्व का भार उठाऐं थे! विशनू स्वरूप श्री रामचन्द्र, जगती का दिल हर्षाऐं थे!! पित्र वचन निभाने को, अवध नरेश वनवास धरे! प्रजा के पाप को हरने को, जल समाधी ले दर्षन दे!! पूरूषार्थ का ऊंचा नाम अमीत, जिनको जन्नी परनाम करे! खूद कष्ट मयी जीने वाले, ताप संताप के हरता थे!! जिनके नाम के भक्त हूए, सब के पाप हरने वाले! रट राम राम खूश हो जाते, महा समाधी धरने वाले!! है करूण गाथाओं की कथा, राम भारत के अमीत पूत्र , मा सीता श्रद्धा जगती की, है लक्क्षमी नारायन कर्म दूत!! मिटा नहीं इस वादी से, राम राज की आश! नमन करे नारित्व पूरूषार्थ को, कोटी नमन प्रशाद!! मा सीता है श्रद्धा भारत की, और राम अटल विश्वाश! और रामायन तुलसी रचीत, हम तूलसी केे दास!! थें कूल की रीत के राम पालक, था जिसमें धरा का भार धरा! रावण लेकर के राम नाम, दिव्य लोक को स्वर्ग चला!! है शूलोक रघू कूल की यही, जो शदियों से थी चलती आयी! कि रघू कूल रीत सदा चली आयी, प्राण जाई पर वचन ना जाई!! निकला तीर मयान से जो, प्रभू नही फिर रखते थे! मर्यादाओं की खातीर अपना, आन प्राण पर रखते थे!! सीता हृदय मे सीता के राम, दिव्यार्थ धरा पे कर्मों वाला! दिपो वाली ये दिव्य दीपावली, सिया राम अवध के आयन का!! घर घर दिप जले बिन जलाए, नरायन लक्ष्मी का अवध धरा मे पाव पड़ा,, जय सिया राम की ध्वनी से, जननी का दिल भी खिल ऊठा!! मै करू नमन लक्ष्मी और नारायन, ईश्वर प्रदित इस विद्या से! तूलसी को नमन है कोटी - कोटी, मेरी प्रमार्थ की अविधा से!! जय सीता राम नमो लक्ष्मी नाराययणे नम: Poet :- Amit Kumar Prasad कवी :- अमित कुमार प्रशाद
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...