Chanchal chauhan 26 Dec 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य एक प्यारे से बच्चें का प्यारा तोता 25378 0 Hindi :: हिंदी
एक छोटा सा प्यारा बच्चा जो पांच साल का था।वह अपने माता पिता के साथ रहता था।उनका अपना बाग था।वह अपने बाग में खेलने जाता था घर के पिछे ही बाग था।साथ में और पड़ोस के बच्चें जाते थे।उस बच्चें का नाम किटू था।जब वे बाग में जाते थे एक मइठू नाम का तोता उसके पास आ जाता था।वह उससे बातें करता था।उस बाग में एक बहुत पुराना अमरू का पेड़ था।बारह महीने उस पेड़ पर अमरूद लगते थे।अमरू बहुत मीठे गुलाबी रंग के थे।सब बच्चें वहीं खेलकर अमरूद खाते थे।वह तोता उनको देखकर बहुत खुश होता था तोता उनको खुद तोड़कर अमरुद देता था।किटू की उससे खास दोस्ती थी ।एक दिन किटू के पापा की किसी से लड़ाई हो गई।वह बहुत बुरे लोग थे।एक सेठ था जो गरीबों से काम करवाकर उन्हें पैसे नहीं देते था।वे उनके पैसे दिलवाने के लिए उसके पास गये साथ में वह मजदूर थे।किटू के पापा बहुत ही सज्जन आदमी थे।वे किसी के साथ गलत होते नहीं देख सकते थे। उन्होंने उन गरीब मजदूर के उस सेठ से पैसे दिला दिये ।इसी बात पर वह सेठ नाराज था।वह बहुत गुस्से में था।वह किटू के पापा से बदला लेना चाहता था।रोज की तरह किटू बाग में खेलने गया।सेठ उसी गांव का था।उसने किटी को उठवाने के लिए अपने दो आदमी भेजें।वह किट्टू को उठाने के लिए बाग में आये।किटू उन बच्चों के साथ खेल रहा था। मिठ्ठू तोता पेड़ पर बैठा था।वे दोनों आदमी बांग में आ जाते हैं। मिठ्ठू के पास आकर खड़े हो जाते हैं और जो बच्चें होते हैं उनको भगा देते हैं। मिठ्ठू को उठा लेते हैं।उठाकर ले जाने लगते हैं। मिठ्ठू पेड़ पर बैठा सब देख रहा था। मिठ्ठू एकदम पेड़ से उड़कर आता है।और उन दोनों के चोंच मारने लगता हैं।वह उन दोनों को बहुत परेशान करता हैं।अपनी चोंच मार मारकर उन्हें भगा देता हैं।वह किट्टू को वहीं छोड़ जाते हैं।वह किट्टू की मां के पास जाता हैं।और किट्टू की मां की साड़ी पकड़कर उसे बाग में ले आता है किट्टू डरा हुआ था। इसलिए वो वहां से जा नहीं रहा था। किट्टू की मां बाग में आ जाती हैं। किट्टू को गोद में उठाकर ले घर ले आती हैं। मिठ्ठू को भी साथ लाती है। किट्टू और मिठ्ठू दोनों को लड्डू बनाकर खिलाती हैं। मिठ्ठू हरदम किट्टू के साथ रहता हैं।बाग में खेलने भी किट्टू के साथ जाता हैं।
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...