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प्रेम जगत का सार है-जन जन में हो प्यार

संदीप कुमार सिंह 18 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4824 0 Hindi :: हिंदी

प्रेम जगत का सार है, जन जन में हो प्यार।
खुशियों में जीवन कटे, दुनिया हो गुलजार।।

प्रेम जगत का सार है,इससे ही संसार।
मनुज जन्म हो सफल तब,मिलते दुआ हजार।।

प्रेम जगत का सार है, रौनक हो परिवार।
रहे खुशी में सब सदा,सुख की हो बौछार।।

प्रेम जगत का सार है,अटल अमर आधार।
खूब शक्ति  है प्रेम में, रहे सफल किरदार।।

प्रेम जगत का सार है, मन में भी हो प्रेम।
करें प्रेम हर जीव से,रखें सजा सम फ्रेम।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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