BALDEV RAJ 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक अपनों की परवाह" 24977 0 Hindi :: हिंदी
"अपनों की परवाह"नंदन लापरवाह रहा अपने लिए, मगर अपनों की परवाह करता चला गया | अपने खुश रहें, अपनी खुशियों को लुटाता चला गया | देख हालात अपनों के, उन के साथ खड़ा हो गया, बिन मागें नेक सलाह दी, ये कसूर हो गया बदले हालात अपने, अपनों के खयालात बदल गये जिन की आखों में बसते थे, आज उन की आखों में खटक गये | आदत अपनी बदली नहीं, चाहे अपने बदल गये, हालात किसी के बस में नहीं होते, अपने वो होते हैं, जो हालातों के आगे बेबस नहीं होते लापरवाह रहूँ चाहे अपने लिए पर अपनों के लिए कभी लापरवाह नहीं होता खुश रहें अपने, यही दुआ मांगते हूँ रब से अपनों की खुशी ही अपनी होती, बिन अपनों के खुशी, खुशी नहीं होती लापरवाह , मस्त, खुश रहें अपने, चाहे कितनी दूर रहें अपने | लापरवाह रहा अपने लिए, मगर अपनों की परवाह करता चला गया