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अपने को जो मानते-लगते हैं दिलदार

संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 3463 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:-मुक्तक छंद 
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत"
अपने  को  जो  मानते,लगते  हैं  दिलदार।
ऐसा  दिल  अब  है लगा,करता दृढ़ किरदार।
ऐसे  दृढ़ किरदार से,जलता भव्य  मशाल_
करे  बुराई  नाश जो,और  बढ़ाए प्यार।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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