संदीप कुमार सिंह 30 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5201 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" नारी तेरा संग हो,फिर तो है आनंद। सुख दुख को हम बांट कर, पिएं नित्य मकरंद।। नारी तेरा संग हो,सूरत भी हो खास। देख तुझे गम दूर हो,हरदम रहना पास।। नारी तेरा संग हो,मिले अगोचर शक्ति। जीवन के हर मोड़ पर,आती रहती युक्ति।। नारी तेरा संग हो,देखूं दुनिया खूब। ख्वाब एक भी मत बचे,रहूं नयन में डूब।। नारी तेरा संग हो,कदम_कदम में साथ। अपने अदभुत कर्म से,बनूं जगत का हाथ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....