Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद फिर भी अन्धेरे में था 27045 0 Hindi :: हिंदी
फिर भी अन्धेरे में था ना दिन का पता था ना रात का पता था एक तेरा ही सहारा था / जिस दिन में अकेला था उस दिन तेरे गाँव में मेला था दिन रात के अँधियारे में में तो अकेला था , ना तेरे गाँव का पता था ना तेरे सहारे का पता था मेरा तो खत भी अकेला था, फिर भी अन्धेरे में था/ ना पूछा था कभी सहारा भी अकेला था ना पूछा था कभी कोन अपना अलबेला था फिर भी अन्धेरे में था/