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शब्द भेद का गुर जो लखे-सहजे भवसागर तर जाए

मोती लाल साहु 14 Aug 2023 शायरी अन्य अनहद नाद, 9136 0 Hindi :: हिंदी

...शब्द भेद का गुर जो-
लखे सहजे भवसागर तर जाए...

...सांस चक्कर में जीवन- 
घुरत फ़िरे एक आवे एक जाए...

...देह-धाम,मन-मंदिर में-
रमता-राम सुरति चढ़े घनधोर...

.... बिन साज अनहद नाद- 
रिमझिम-रिमझिम झनकारे...!!!!
-मोती

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