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नेक सलाह

Savita singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक एक मां की कहानी 9621 0 Hindi :: हिंदी

ताउम्र जिस घरौंदे को ,
संवारने में निकाल दी ।
सब उड़ चले मुझे भी,
निकलने की सलाह दी।
जाओ..... सब के सब
मर्जी तुम्हारी,
आंखों में दिख रही 
खुदगर्जी तुम्हारी ।
रह लूंगी मैं तन्हा
इस दरों -दीवार में ,
जीत भी मेरी है
मेरी इसी हार में ।
अपने बनाए वसूल पर ही
अब उम्र गुजार दूंगी...
बस........
तुम कोई घरौंदा न बनाना 
अपने तजुर्बे से तुम्हें 
यही सलाह दूंगी ।।
ताउम्र जिस घरौंदे को
संवारने  में गुजार दी।
सब उड़ चले मुझे भी 
निकलने की सलाह दी.....                        
              सविता सिंह 

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