Pankaj Kumar Boorakoti 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #रिश्ता 82455 0 Hindi :: हिंदी
एक रिश्ता है अपने आप से मेरा जिसे समझने में जिंदगी लग जाती है खुद से बढ़कर कोई फिक्रदार नहीं मेरा धीरे धीरे ये बात समझ में आती है जिन अपनों के लिए बलिदान दिया मेने आज कंधे देने में भी नज़र नहीं आते है दिन रात कमाकर पैसे घरवालो के लिए लता हूँ फिर भी मिलता गिलास भर पानी जब मैं पुकारता हूँ दुख में मेरा तेरा करते है सब सुख में मेरा मेरा याद आता है एक हलकी आंच आ जाएं मुझ पर तब कोई नहीं घबराता है एक रिश्ता है अपने आप से मेरा लेखक पंकज कुमार बुड़ाकोटी