Nitesh Kumar Vishwakarma 11 May 2023 कहानियाँ दुःखद 5432 0 Hindi :: हिंदी
सन्नाटा - भन्नाटा एक गांव में दो मित्र रहते है।एक का नाम है सन्नाटा और दूसरे का नाम है भन्नाटा। सन्नाटा और भन्नाटा,दोनों के माता-पिता किसानी किया करते है।दोनों एक साथ विद्यालय जाते है,उसी गांव में रहकर दोनों ने दसवीं तक पढ़ाई पूरी कर ली। परंतु सन्नाटा आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए शहर चला गया और भन्नाटा दसवीं तक पढ़ाई करके छोड़ दिया। वह अपने माता पिता के साथ किसानी करने का सोचा! कुछ समय बाद आप देखेंगे कि सन्नाटा शहर से पढ़ाई पूरी कर के गांव की ओर आ रहा है। दूसरे ओर आप देखेंगे कि भन्नाटा अपनी सारी कमाई मदिरा - पान में उड़ा रहा है। भन्नाटा : अरे, ओ गजोधर चल दारु लेकर आ और हा साथ में पान - बीड़ी भी लेकर आ। गजोधर : जी साहब ,अभी लेकर आया। भन्नाटा : हां ,जल्दी लेकर आ ।आज मैं बहुत खुश हूं। आज तेरी पूरी दुकान खाली करके जाऊंगा। गजोधर :(मन में सोचते हुए) अरे, कहीं ये शराबी दारू पीने के बहाने चोरी करने तो नहीं आया। भन्नाटा : अरे, गजोधर जल्दी लेकर आ। गजोधर : जी साहब ,लेकर आ रहे है। भन्नाटा : जल्दी लेकर आ। गजोधर :( दारु देते हुए) साहब, आप इतना खुश क्यों दिखाई दे रहे है। भन्नाटा : अरे गजोधर, मेरा दोस्त शहर से पढ़ाई पूरी कर के गांव आ रहा है। गजोधर : अच्छा साहब, तभी तो आप इतनी खुश दिखाई दे रहे है। भन्नाटा : हां चल ,अब जा मुझे दारु पीने दे। गजोधर : ठीक है साहब ;मैं जाता हूं, आप इत्मिनान से बैठकर पीजिए। ( गजोधर चला जाता है) भन्नाटा :(दारु पीकर ड्रामा करते हुए) पीले - पीले ओ मेरी जानी , पीले - पीले ओ मोरे राजा। (यह गाना गाते हुए और दारु की बोतल हाथ में लेकर घर की ओर जाते हुए) उसके सामने एक गाड़ी आकर रुक जाती है।(भन्नाटा गाड़ी रोकते हुए) रुक - धन्नो - रुक, कहां चली बसंती छोड़कर;ना - धन्नो - ना ,ऐसा नहीं करते है चल जा वापिस बसंती के पास। सन्नाटा:( बाहर जाते हुए) कौन है? जो गाड़ी के सामने आकर बैठ गया। (भन्नाटा की ओर जाते हुए) अरे भन्नाटा, तू सड़क पर बैठकर क्या कर रहा है ,और अपनी हालत कैसे बना लिया है। भन्नाटा:( सन्नाटा क़ी ओर देखते हुए) कौन - सा पिया है, ब्रांडेड दारु पीता हूं ब्रांडेड! सन्नाटा: लगता है इससे सुबह ही बात करना सही रहेगा। (भन्नाटा को उठाते हुए) चल घर चलते है दोस्त,अम्मा - बाबू राह देख रहे होंगे। भन्नाटा:( फिर से वही गाना गाते हुए)पीले - पीले ओ मेरी जानी , पीले - पीले ओ मोरे राजा। (भन्नाटा को घर छोड़कर , सन्नाटा अपने घर चले जाता है और अगले दिन मिलने के लिए घर पर आता है। तो वह देखता है , उसके माता-पिता उसको डॉट रहे है।) सन्नाटा:( माता - पिता से मिलते हुए) प्रणाम,अम्मा - बाबू कैसे हैंआप सब ?सब कुशल मंगल है।( माता पिता बताते हुए) अरे क्या कुशल मंगल है बेटा! तेरा दोस्त दिन भर दारु पीकर ,ऐसे पड़ा रहता है हम समझाते हैं।तो हमारी बातों को समझता ही नहीं है ,अब तू आ गया ही है। तो इसे समझा बेटा !क्योंकि तू इसका दोस्त है ना हो सकता है ये तेरी बात समझ जाए और फिर दारु को कभी हाथ ना लगाए ठीक है ।अम्मा - बाबू ,मैं इसे समझाता हूं आप चिंता मत कीजिए। भन्नाटा: क्या यार ,अब तेरा भी भाषण सुनना पड़ेगा मुझे! सन्नाटा: जी हां हुजूर ,सुनना ही पड़ेगा। मैं तेरा दोस्त जो ठहरा ,मुझे बता क्यों करता है इन हानिकारक पदार्थों का सेवन। छोड़ दे मेरे दोस्त ,यह सभी पदार्थ जानलेवा होते हैं।यह पदार्थ तुझे और तेरी जिंदगी को बर्बाद कर देंगे समझा। भन्नाटा: तेरे और उसके जैसे साथ तो नहीं छोड़ता है शराब !तुझे क्या लगता है मुझे पीने का शौक लगा है।उसके जाने के बाद गम भुलाने के लिए पीता हूं। कभी सोचता हूं कि दारु पीना छोड़ दूं ,तो उसकी याद आने लगती है ।मुझसे बोली कि हमारा साथ सात जन्मो का है लेकिन पल भर में छोड़ कर चली गई।(भन्नाटा रोते हुए) सन्नाटा: वो छोड़ के चली गई ,तो इसका मतलब तू दारू पीने लगेगा। मेरे दोस्त, उसको भूल जा! अब वह तेरी जिंदगी में कभी लौट कर वापस नहीं आएंगी, क्योंकि जीवन का यह नियम है कि जो एक बार गया वह कभी लौट के नहीं आता है। अपने बारे में नहीं ,तो अपने बच्चों के बारे भी तो सोच और उनके भविष्य के बारे में सोच!यदि तू ही ऐसा करेगा,तो उनका क्या होगा़। भन्नाटा: हां ,दोस्त बात तो तू सही कह रहा है ।अगर मैं ही दारु पीकर ऐसी अवस्था में रहूंगा ।तो बच्चों और उनके भविष्य का क्या होगा? सन्नाटा: चल फिर दोस्त, इसी बात पर आज से तू दारु पीना छोड़ दे। आज से ही दारु पीने में नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य बनाने में ज्यादा ध्यान दे। भन्नाटा:(दारु का बोतल पटकते हुए) अच्छा ऐसी बात है ,तो ले फिर आज से मैंने दारू पीना छोड़ दी।अब कभी भी दारु को हाथ क्या मुहं भी नहीं लगाऊंगा और कोई पिलाएगा तो भी नहीं पियूंगा। सन्नाटा: ये हुई ना दोस्तों वाली बात, अच्छा एक बात बता कल रात को,कौन सा गाना गा रहा था याद तुझे!(सन्नाटा ,भन्नाटा से मजाक करते हुए)पीले - पीले ओ मेरी जानी , पीले - पीले ओ मोरे राजा। ( दोनों एक साथ हंसते हुए) ( इस एकांकी से, हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी कितनी भी बड़ी विपदा क्यों ना आ जाए। हमें हानिकारक पदार्थ से हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए।) नितेश कुमार विश्वकर्मा