कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम 75965 0 Hindi :: हिंदी
सरहद ~सरहद बोल रहा तिरंगा,। लाखों ,कुर्बानी, व्यर्थ नहीं तुम अब जाने दो,। कहीं हिमालय सा कठोर बनो,। कहीं लहराऊँ में तुम्हारी भुजाओं में,।मैं,। देह मेरी शान में पर्वत तुम महान बनो,। निश्छल ही बहेगी ,इक गंग धारा ,।चक्र को नयनों के तुम धीर धरो,। विश्व पटल पर आज कई ,गुनाहों का अपवाद बड़ा है,। सत्य निष्ट तुम फिर से नये हर्ष की सौगात धरो,। सुनते हो ,सुनाते हो तुम मेरी आन में नव मंगलगीत,। नये वीरों का उदय हो,। कह रही आभा की कविता ,। फिर से सुर सरिता में दीप धरो,। सदियों, से ,चला आया ।जो अखंडता का नारा ,। नहीं ,भूलों छवि ,था इक सुभाष नेता प्यारा,। सरहद ~सरहद बोल रहा तिरंगा,। लाखों कुर्बानी व्यर्थ नहीं तुम जाने दो,। वतन ,की ,सौंधी मिट्टी का आश्वासन है,। हरी धरा पर ,। प्रेम, के, दो, बोल लिख जाने दो,। अवश्य ही इक जहान होगा ,। बस ,आंखों देखा ,चोट ,किसी को न खाने दो,। सरहद ~सरहद बोल रहा तिरंगा ,। लाखों कुर्बानी व्यर्थ नहीं तुम जाने दो ,,।। कविता पेटशाली ✍️💓🇮🇳🌄🌺
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