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मरता क्या नहीं करता-जिन्दगी है यह इसके रूप अनेक

संदीप कुमार सिंह 03 Jan 2024 कविताएँ समाजिक कविता कुंज # कविता की दुनियां # बेह्तरीन कविता # नई कविता # पुरानी कविता Hoe to download Paytm # Hoe to published articles?How to open Facebook pages?How to open saving account ? How to create you tube short?How to create good Role? 2701 0 Hindi :: हिंदी

मरता  क्या  नहीं  है  करता,
जिन्दगी  है  यह  इसके  रूप  अनेक।
किसी  पर   कब हो  जाए  मेहरबान, 
किसी  पर  कब  हो  जाए  नाराज।

जीवन  भर  लेती  रहती  कठिन  परीक्षा,
कोई  पास  करते- कोई  लटक  भी  जाते। 
जो  लटके  सो  लटके - जो  निकले  सो  निकले,
यही  तो  जिन्दगी  की  है  सच्चाई।

फिर  कोई  सफलता के  गुमान  में  रहता,
और  कोई  मजबूरी वश गुमान  में  रहता।
कोई  सफलता  के  नशा  में कुछ  करता,
कोई असफलता  से खीझ कर कुछ करता।

ऐसे में  एक-दूसरे का  मजा  लेते रहते,
पर  यह  तो  गलत  है-सरासर गलत है।
एक दिन आपके  भी घर  सजा  आ  सकती,
सम्हलो  और  सम्हालो  यही  नीति  अपनाओ।

परमात्मा  के  ही  तो हैं हमसब  अंश, 
इसलिए  क्यों पाले  कोई भी  दंश।
हृदय  में  करुणा हो- प्यार  हो, 
लाचार वालों  का  हम  सदा  ही  साथ  देंगे।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप  कुमार  सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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