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बछड़े कि हरकत-आंगन में उछल कूद

Nasima Khatun 03 Jul 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग मनोरंजन करने वाली कहानी 5335 0 Hindi :: हिंदी

शाम का समय है बछड़ा घर से बाहर है।हर जगह खोजें लेकिन कहीं नहीं मिला। घर के सामने लगे निंबु के पेड़ के पास कुछ हिलने कि आवाज सुनाई दी। मां को लग चुका था कि वही बदमाश बछड़ा होंगा मां ने कान खिंचते हुए उसे घर लाई तब उसके गर्दन और पैर को मोटी रस्सी से बांध दी। ताकि वह भाग न सके उस बछड़े ने मायुस होकर अपना सिर नीचे झुका लिया इसकी सक्ल देख कर भाई को उस पर दया आ गया। भाई ने उसके पैर कि रस्सी खोल दी रस्सी खुलते ही उसने गर्दन में बंधी रस्सी भी तोड दी और आंगन में उछल कूद करने लगा जब कोई पकड़ने जाता तो चपाकल के चारों ओर गोल गोल चक्कर लगाने लगते जब दादा को पता चलता कि बछड़ा घर से गायब हैं तो एक -एक करके सबों का ख़बर लेते। इससे पहले हम सबों ने उसे चारों ओर से घेर लिया किसी ने गर्दन, किसी ने पैर, तो कोई कान, कोई पुंछ पकड़ कर तबेले में बन्द कर दिया जहां पहले से बकरीया थी। इतने बड़े जानवर को देख कर सभी मे-मे करके चिल्लाने लगे तभी अब्बा ने एक थाली चावल लाए और सभी बकरीयो को खाने दिया।शांत से खाने के बजाय एक-दुसरे को मार मार के खाती। मां ने बछड़े को खाने के लिए एक गट्ठर घास दिया। लेकिन उसे खाने के बजाय दरवाजे मे लगे टटरी से मुंह निकालकर भाई के हाथ को जिभ से चाटने लगा भाई ने उसके सर को सहलाते हुए कहा कि सब चलों यहां से नहीं तो यह फिर से भाग जाएगा।
जब दुध दुहने को होता तो चाची अपने साथ किसी को या चाचा को लें जाती ताकि एक बछड़े को पकड़ें और दुसरा दुध दुहने का काम करे जब भी चाचा साथ जाते तो चाची बछड़े को रस्सी से बांध कर पकड़ती लेकिन बछड़ा अपने को आगे तो कभी पिछे की ओर धकेलता ताकि रस्सी टुट जाए।
लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाता। बछड़े कि मां भी थीं बड़ी होनहार जब वह सिंग से हमला नहीं कर पाती तो पैर से करतीं।
कभी -कभी पैर से लथारी मार कर बाल्टी में भरे दुध को गिरा देती तो , कभी बाल्टी में पैर रख देती तो, कभी अपने पुंछ से चाचा के मुंह में मार देती इस हरकत से उन्हें
दो -तिन डंडे पड़ जाते तो कभी उनके दोनों पैर को बांध देते
चाची जैसे ही बछड़े को रस्सी से खोलती तो बछड़ा सिधे अपनी मां के पास जाकर पुंछ धुनते हुए उछल -उछल कर दुध पिता।
जब गाय को चरने के लिए ले जाया जाता तो वह बार -बार रंभाते हुए घर आ जाती घर के दरवाजे बंद कर देते ।
लेकिन इसे खोलने के लिए बार बार धक्का देती बाहर बैठ कर दरवाजा खुलने का इंतजार करती।धिरे धिरे चहलकदमी करते हुए तबेले के टटरी को मुंह से खोलकर या उसे तोड कर बछड़े के पास चली जाती और दुध पिलाने लगती। जिस दिन गाय ऐसा करती । उस दिन हमे दुध पिने को नहीं मिलता। 
कुछ दिनों के बाद बछड़े  को भी चरने के लिए उसकी मां के पास ले जाने लगे।
कांटों का गुच्छा बनाकर उसके मुंह में बांध देते ताकि वह गाय कि दुध न पि सकें
इसके बावजूद गाय कांटों का परवाह किए बिना दुध पिलाती जिससे उसके पैर और थन कांटों से कट -फट गए। लेकिन वह दुध पिलाना नहीं छोड़ती। यह दृश्य देखकर लोगों के आंख खुले के खुले रह जाते की इतनी ममता एक जानवर में भी हों सकतीं हैं।
इसी कारण से चाची ने बछड़े को घर में ही बांध कर रखतीं। उसके खाने के लिए एक गट्ठर घास, चोकर, और पानी भी रख देती
दिन भर घुम -घुम कर उसे ही खाता।
अब वह बड़ा हों गया था। उसे एक -दो घंटे के लिए उसकी मां के पास छोड़ दिया जाता। ताकि वह घास चरना सिख जाए।
लेकिन वह दुसरे बछड़ों से हमेशा लड़ा करता एक घुसा मार कर वह अपनी मां के पास आ जाता।
दुध पिलाने के बाद इसे बांधना भुल गए और सब अपनी-अपनी कामों में लग गए।
आंधे घंटे के बाद अब्बा ने स्कुल से फोन किया कि बछड़ा घर में है या नहीं एक बछड़ा अपनी पुंछ उठाएं हुए स्कूल के चारों ओर भागम भाग कर रहा है।
बिना देर किए भाई गाड़ी से सिधे स्कूल पहुंचे लेकिन बछड़ा वहां न था। पास के गांव में गए जहां एक झुंड में बहुत सारे बछड़े थे।
भाई बछड़े को पहचानता तो नहीं था। उसने एक बछड़े को उठा लिया और घर लाकर बांध दिया। चाची ने जब देखा तो गुस्से से कहा कि ये किसका बछड़ा है अपना नहीं हैं। वह दुबारा गांव गया। गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि खेत कि तरफ गया है इस बार साथ में चाची भी गई।खेत में केवल एक ही बछड़ा था थक हार कर चुपचाप मेंड़ के पास बैठा था उसके पैर किचड़ से गंदे हो गए थे।
चाची ने हल्के हाथों से उसे सहलाकर नंदी का पानी पिलाया, उसके किचड़ धोए तब घर लाई।
उस दिन के बाद वह कभी घर से नहीं भागा मार्च का महिना था सारे फसल कट चुके थे सभी जानवरों को छोड़ दिया जाता
वे अपने मर्जी से कहीं भी चरने जा सकते और समय पर घर वापस आ जाते।
उसी तरह बछड़ा भी चरने जाता और सभी गायों या बैलों से पहले घर वापस आ जाता लेकिन आज वह अपने अन्य साथियों के साथ हरी-हरी घास चरता ही रह गया।
तभी अचानक आठ बड़े-बडे कुत्तों ने पिछे से हमला कर दिया भागने में बछड़ा सबसे तेज था लेकिन एक कुत्ते ने गर्दन को जकड़ रखा था इसलिए वह बिच में फंस गया और बाकी सब वहां से भाग गए।
गांव के एक दुकानदार ने देखा तो उसने चिल्लाना शुरू कर दिया उसने सोचा कि वह उसका बछड़ा है इसलिए वह दोडत-हाफते हुए बिना चप्पल पहने उस जगह पहुंचे।
लोगों ने कुत्ते को पत्थरों-डंडे से मार कर भगाया। बछड़े को देखने के बाद दुकानदार को राहत मिला कि वह उसका बछड़ा नहीं हैं चाची भी पिछे से  गई बछड़े कि हालत
देखकर उसकी आंखें नम हो गई बछड़ा का पुरा शरीर खुन से लत पत था। उनके गर्दन कट-फट गए थे।पेट में दो बड़े बड़े छेद कर दिए थे जिससे खुन रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
उसे किसी प्रकार गाड़ी में बैठाकर घर लाया गया। लेकिन इस बात कि खबर घर में किसी को न थी सब रोज़ा रखे हुए आराम कर रहे थे। बछड़े को देखकर तुरंत मां को उठाया मां दोडते हुए बछड़े के पास पहुंची उसके घांव धोएं और लहसुन की लेप लगा दी। ताकि मक्खी उसके शरीर पर न बैठें इससे पहले सरसों के तेल को उबालकर कर उसके घाव पर दिया गया जो छन -छन कि आवाज कर रहे थे लेकिन बछड़ा उफ़ तक नहीं कर रहा था।
डॉक्टर ने इंजेक्शन देते हुए कहा कि अब यह नहीं बच सकता इसके शरीर का सारा खुन गिरता जा रहा है।
एक दिन तक वह बिना कुछ खाए पीए कराता रहा और दूसरे दिन वह मर गया उसकी मां रंभाती रही आंखों से आंसू टपक रहे थे और अपने बच्चे के सामने बैठ गई।

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