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पलाश के फूल

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 73673 0 Hindi :: हिंदी

कविता- पलाश के फूल

बसंत ऋतु में खिल गया ब्रह्मावृक्ष,
लाल,सफेद और पीले रंग के फूल।
खेतों के मेढ़ में जंगल की आग जैसे,
अर्धचंद्राकार,छोटा और गहरा झुल।।

गगन में उड़ते पंछी देखते किंसुक,
करने को बसेरा डालियों में बैठते हैं।
तिनका-तिनका जोड़ बनाते घोंसला,
थिरक कर जीवन का गीत गाते हैं।।

फसल देख रहे हैं अपलक दृष्टि डाले,
युवती स्वरूप बालों में लगाने गजरा।
कब आओगे तुम पास में रक्तपुष्पक,
प्रियवर लालायित देखने को मुजरा।।

नववर्ष में रंग भरने आई रंगों की होली,
सुपर्णी कुसुम का अमिट रंग आकर्षित।
सतरंगी रंगों से सजी है जननी वसुंधरा,
सर्वजन सहृदय आनंद, मंगल, हर्षित।।

झड़ गए पेड़ों की जीर्ण-शीर्ण पत्तियां,
निरंतर परिवर्तन है संसार का नियम।
फिर चहूंओर आएगी हरियाली बहार,
रखना होगा सबको धीरज और संयम।।

कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)।


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