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शीशे का बदन

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 शायरी प्यार-महोब्बत शीशे का बदन 62166 0 Hindi :: हिंदी

शीशे का बदन 
मुखड़ा चमन 
नशीले नयन
होठ प्यासा 
मै खाना  

जुल्फ धना घनघोर घटा 
चमके जैसे बिजली सा मन 
गर्दन सुराही दार तेरा 
अकड़ीली भडकेलि तन 

रोज़ रोज़ आया करो 
रूठ के मत जाया करो 
आशिक हैं हम तुम्हारे 
यैसे न तरसाया  करो 

रात रात भर जागते हैं 
तेरी ही बातें करते हैं 
दीवाना हैं तेरे हुस्न का 
यैसे मत सताया करो 

जाती हैं तो जा फिर मत आना 
अगर आये फिर दोवारा 
न कहना फिर जाने को 
 
 

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