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चांदनी रात में- हुस्न ए मलिक्का का दीदार हुआ

संदीप कुमार सिंह 04 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6465 0 Hindi :: हिंदी

चांदनी रात में हुस्न ए मलिक्का का दीदार हुआ
वक्त आधी रात की राज पर भरपूर मेहरबान हुआ।

मौसम का मिजाज भी सकून ए चैन हुआ
हुस्न की मलिक्का का प्यार राज पर बरस पड़ा।

धड़कनें धड़कनों में बेसुध खो गया
आलिंगन का अनुपम रूप सामने आया।

आज अरमानों की मिलन की स्वर्णिम बेला है
खुशी से नैना आंसूओं की मोती टपका रहे हैं।

सारे ख्यालात एक मंजिल बन गया है
दो जिस्म अब हसी रंगी एक जान बन गई है।

दोनो के भविष्य के सपने भी सज रहें हैं
फूल ने खुशबु को मुकाम कर लिया है।

पूनम की यह रात एक_दूजे को उपहार है
उसके आंगन में आने वाले किलकारियों की आवाज़ है।

कुदरत का करिश्मा है हर्ष ने दो दिलों को आज मिलाया है
भाव अदा फिज़ा में अटूट एक हो गया है।

राज के संग फ़जा दूधिया रोशनी में चमक_दमक रहें हैं
आज इस मिलन को तमाम कायनात देख रहें हैं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवडा) बिहार

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