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(मनोविज्ञान)

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक मनोविज्ञान 30233 0 Hindi :: हिंदी

हमारा मन अनंत है, और मन के कोने में,  हम जिस विचारों को धारण करते हैं, जैसे कोई  आधी बातें लिखकर, राइटर उसे
 पूरा करना चाहता है, समस्त रचना में
 राइटर का अपना विचार होता है, लेकिन हमारे मन में,  एक विचारधारा प्रभावित, हो रही है उससे हमारे  मन को, एक विषय मिल रहा है, एक विषय से एक भाव उत्पन्न हो रहा है, इस भाव से, क्षमता बन रही है, वह क्षमता से मैं चल रहा हूं, जैसे दूर कहीं 
 बड़े कंप्यूटर से, एक छोटे कंप्यूटर को,
 सॉफ्टवेयर प्रोग्राम, के जरिए कंट्रोल,
 किया जा रहा है, और उसके अंदर, वायरस ऑटोमेटिक , भरना स्वाभाविक है,
 इसी प्रकार से सांसारिक, विषय से,
 मन में एक भ्रम नाम का वायरस, डाउनलोड होता जा रहा है, इस सांसारिक विषयों से, चिंता नाम की_ वायरस भरता जा रहा है_ लेकिन जैसा कि मैंने कहा है_
 कहीं दूर से सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के जरिए,
 हमें कंट्रोल क्या जा रहा है,,
 हमारा मन यू कहिए_  कंप्यूटर में चलने वाली माउस_ की तरह है कार्य करता है_
 मेरे मस्तिक, नाम की मेमोरी में, हर पल को, हर वाक्य को, रिकॉर्ड किया जा रहा है, और उन्हें अलग-अलग फाइल में_ सुरक्षित किया जा रहा है_ आप जैसा कि मैंने कहा है , किसी एक फाइल,  पर जब भी मन क्लिक करता है,
 उसी प्रकार की यादें उसी प्रकार के चित्र,
 हमारे मानस पटल पर, बनता जा रहा है,
 ऐसा नहीं लगता है कि_ कोई हमारी डाटा सेफ  कर रहा है , उन्हें जरूरत है,
 और हमारी कमजोरी तो देखो_ हम अपने अंदर से_ किसी भी फाइल को_
 डिलीट नहीं कर सकते_ हर फाइल पर एक अलग है पासपोर्ट होता है_
 वह पासपोर्ट हमारा मोमेंट होता है,
 हम जिस  मोमेंट में रहते हैं,
 उसी प्रकार के यादें बातें और क्षमता हमारे अंदर प्रभावित हो जाती है,
 मैं पिछले कई सालों से_ जिस कार्य को अधूरा छोड़ा था_  
वह कार्य अच्छा हो या बुरा,,
 आज  भी मेरी यादों में_ वह सुरक्षित है_
 जब कभी भी उस मोमेंट में रहता हूं,
 तो मैं अकेले में_  उन बातों को 2 तरह से_
 पा रहा हूं_
 पहला फाइल में मैं उस कार्य को_ वैसा ही असफल अंजाम दे रहा हूं_
 जैसा मैंने की हकीकत में उस कार्य को,
 अंजाम दिया था_  _ लेकिन दूसरे भावना में  मैं उस कार्य को_ कई तरीकों से अंजाम_ दे रहा हूं_
 कई बार सफल भी हो रहा हूं,
 और अपने नीति के अनुसार_ उस कार्य को  लगभग प्रतिदिन_ अलग प्रकार से अंजाम देता हूं_
 यहां पर मैं कह सकता हूं कि_
 जिस कार्य में मैं  असफल हुआ हूं_
 वह मेरी क्षमता थी _ जिस कार्य को अपने मन में अंजाम दे रहा हूं_
 वह मेरी भावना थी_
 हमारा कंप्यूटर  ऐसी  संरचना से बनी है_
 कि वह हमारे भावना को भी डाटा_
 बनाकर सुरक्षित कर रही है_

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